Wednesday, March 24, 2010

मेरा परिचय

मैं कौन हूँ?

मैं हूँ वह-

जहाँ देवता रमते हैं, पर वे क्या मुझे देते हैं?

उर्वशी और मेनका बना देते हैं।


मैं कौन हूँ?

मैं हूँ-

राम की सीता, धिक् मुझे मिली क्या भिक्षा,

पुरुषोतम ने ही ली अग्नि परीक्षा।


मैं कौन हूँ?

मैं हूँ

पति के लिए जो हुई सती,

जो जीवन भर करता रहा मेरी दुर्गति,

उसके लिए घुटीं श्वासें

रुकी मेरी गति।


मैं कौन हूँ?

मैं हूँ-

अपने देश में श्रद्धा, पर क्या पूरी हुई मेरी श्रद्धा?
टूटते अरमान जैसे शराबी का नशा


मैं कौन हूँ?

मैं हूँ-

जिसे कहते हैं लक्ष्मी मईया
पर अपमान हमेशा पाई
प्यार पाए भईया
निश्चेस्ट सी देखती जैसे खूंटे की गईया।

मैं कौन हूँ?

मैं हूँ-

एक अबला पर - किसे देख ये ह्रदय नहीं पिघला?
धाय पन्ना, लक्ष्मी बाई मदर टेरेसा का मुझमें रूप मिला


मैं कौन हूँ?

मैं हूँ-

अनमोल, विज्ञान करता है मेरा तोल

मारती मुझे स्नेहमयी माँ, बिन मोल।


मैं कौन हूँ?

मैं हूँ-

कुल की लक्ष्मी, घर की दुल्हन

दो परिवारों में जुड़ा एक बंधन, जिस पर दहेज ने ओढ़ा दिया कफ़न।


मैं कौन हूँ?

मेरा परिचय क्या?-

वंचक न दो उपमा नया, न हूँ देवी न महान हूँ

मैं भी एक इंसान हूँ।

मैं भी एक इंसान हूँ।

13 comments:

  1. वाह वाह
    हां एक अच्‍छी कविता मिली पढ़ने को
    ब्‍लागिंग में स्‍वागत है
    http://chokhat.blogspot.com/

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  2. ati sundar...
    awesome, manbhawn rachna.
    swagat hai aapka
    www.shashiksrm.blogspot.com

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  3. सही बात " मैं कौन हूँ " ?

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  4. आज के दिन जब उत्तर भारत में कन्याओं को ढूँढ़ ढूँढ़ कर पूजा जा रहा है जिमाया जा रहा है, इस कविता से उसकी वास्तविक आह सुनाई दे रहीं है। साधुवाद और ब्लॉग जगत में कवियत्री का शुभ स्वागत।
    प्रमोद ताम्बट
    भोपाल
    www.vyangya.blog.co.in

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  5. achhi lagi...
    apne sundar aur gambhir dono ek sath rach diya..badhai ho...
    ise jari rakhe...

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  6. ब्लाग जगत में आपका स्वागत है!!!आपके सफल लेखन हेतु मेरी शुभकामनायें!!

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  7. "मैं हूँ-
    जिसे कहते हैं लक्ष्मी मईया
    पर अपमान हमेशा पाई
    प्यार पाए भईया
    निश्चेस्ट सी देखती जैसे खूंटे की गईया।
    ....
    मैं भी एक इंसान हूँ।
    सुंदर रचना.

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  8. क्योंकि तुम एक सुसम्मानित माँ बन बच्चों को स्वस्थ नागरिक बनाने से कतरा रही हो और आरक्षण जैसे रोगों को समाज ंवन् पनपा रही हो. बस माँ बन सको तो सारा जगत तुम्हें सम्मान देगा.

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  9. खुद पर तू इतना तरस ना खा इस एक-तरफ़ा कहानी पे,
    दूसरी तरफ के पलड़े में मौज, मजा और रवानी है,
    ये पहलु भी तेरा चुना हुआ और वो पहलु भी,
    वल्लाह ! फिर किस बात की परेशानी है..!!

    कैसे खोलूं मेरी तमन्नाओं और उसकी मर्जी के बीच के ये भेद..??
    कैसे जी लूँ की रहे ना फिर कोई खेद..??
    हर कदम अभी तो मंसूबों से भरा हुआ..,,
    कैसे कह दूँ के उतर आया है वेद..??

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  10. really great poem, society can not reply u , u have to search

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  11. मैं कौन हूँ?
    मैं हूँ-
    अपने देश में श्रद्धा, पर क्या पूरी हुई मेरी श्रद्धा?
    टूटते अरमान जैसे शराबी का नशा।------------------------------sundar aur sashakt rachana.hardik badhai.

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  12. bahut acha laga apki rachn apadkar..mein kaun hu

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  13. mein kaun hu..acha prashan kiya hai apne...

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