Tuesday, April 6, 2010

भाव सुमन


ऋतुराज जा रहा है
या हम जा रहे हैं
समेटो इन्हें कुछ पल जा रहे हैं।

पाया ही है हमने
दिया कुछ नहीं है,
अकिंचन भिखारी बने जा रहे हैं
समेटो इन्हें कुछ पल जा रहे हैं.

गुरुजनों ने दिया जो
असीम ज्ञान हमको
श्रद्धा से सर झुके जा रहे हैं
समेटो इन्हें कुछ पल जा रहे हैं।

भाव-बंधन से बांधा है
मित्रों ने हमको
अश्रुजल से नयन दो
भीगे जा रहे हैं.
समेटो इन्हें कुछ पल जा रहे हैं।

अनुजों ने दिया जो
आदर और प्रेम
उज्ज्वल पथ हो उनका
मंगल गा रहे हैं
समेटो इन्हें कुछ पल जा रहे हैं।


विघ्न के बांध काटो
पाओ लक्ष्य अपना
मन के प्रवाह में
कहे जा रहे हैं
समेटो इन्हें कुछ पल जा रहे हैं।

वसंत अगले बरस
लहलहाते तुम आओगे
हम अपनी अंतिम
विदाई लिए जा रहे हैं
समेटो इन्हें कुछ पल जा रहे हैं.
ऋतुराज जा रहा है या हम जा रहे हैं।

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